हिन्दी ब्लॉगिंग फैशन का वो दौर है जिसमें गारंटी की अपेक्षा न करें। हमने शुक्रवार का दिन चर्चा के लिए अपने जिम्मे लिए है पर अगर पारा 43 से ऊपर हो तो भला गारंटी कैसे ले सकते हैं। तो समझो कि चर्चा बस लगभग छूट ही गई थी पर फिर लगा कि जब कीबोर्ड वीर एक नहीं दो नहीं निन्यानवे चीजें गिनाने में लगे हैं तो हम क्यों नही कुछ पोस्ट गिना सकते।
मास्टरी, ब्लॉगिंग और चिट्ठाचर्चा से जो त्रिर्यक बिंदु बनता है उस पर टिके हैं हम तथा इससे हमें लगता है है चिट्ठाशास्त्र तो खैर एक बहुत संभावना से भरा क्षेत्र है ही वैसे ही चर्चाशास्त्र भी कम पोटेंश्यल की चीज नहीं है। चर्चा करते समय हम अक्सर पाते हैं कि रोजाना के चिट्ठों के एक लघुत्तम समापवर्तक होता है...एक ट्रेंड होता है। कहें कि अंगी रस होता है। ऐसा नहीं कि बाकी विषयों पर लिखा नही जा रहा होता पर...मूल रस एक होता है बाकी संचारी भावों की डूबती उतराती पोस्टें होती हैं। चर्चाकार सूंघकर दिनभर की ब्लॉगिंग का अंगी रस पहचानता है बाकी पोस्टों को फुटकर खाते में डालकर ट्रेंड ऑफ द डे सामने रखता है। इस लिहाज से देखें तो कल से आजतक की चिट्ठाकारी का अंगी भाव है... भाव-ए-निन्यानवें (न नब्बे न सौ बाटा के जूते की कीमत की तर्ज पर निन्यानवें)
अमित ने बात शुरू की लिंक है http://hindi.amitgupta.in/2009/04/30/99-things-hitlist/ पर खुदा कसम हम न पहुँच सके हर किसी की पोस्ट के लिंक से कोशिश की हर ब्राउजर से की पर नहीं पहुँचे तो नहीं पहुँचे। या तो कोई लिंक लगाना सिखाए भाई। वरना क्या गड़बड़ हे ये सुझाए। खैर फिलहाल समझे लेते हैं कि पहलमपहल अमित ने वो सूची थमाई जिसे लंबी निद्रा से जागे जीतूजी ने बोल्ड कर कर अपना रिप्लाई दिया... इस बोल्ड स्क्रिप्ट से उदात्तता/महानता छलक छलक पड़ती है पर जो रिप्लाई रविजी ने पटकी है वो हमें अपनी जिंदगी की सच्चाई के ज्यादा इर्दगिर्द लगती है-
अमेरिका में ग्रैन्ड कैनयन देखी – जब देखो अमरीका इंग्लैंड की बात करते हैं. नागपुर कानपुर की भी तो कुछ पूछें.
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वैटिकन गए – फिर वही बात. पचमढ़ी की पूछें तो बताएंगे
फिर समीरजी ने तो पूरी मौलिक लिस्ट दी है ब्लॉगिंग के लिहाज से
1.छद्म नाम से ब्लॉग खोला.
२.बेनामी जाकर टिपियाये.
३.किसी विवाद के सेन्टर पाईंट बने.
४.फुरसतिया जी की पोस्ट एक सिटिंग पूरी में पढ़ी.
५.शास्त्री जी ने आपके बारे में लिखा.
६.अजदक की कोई पोस्ट समझ में आई.
७.टंकी पर चढ़े.
८.लोग टंकी से उतारने आये.
९.टंकी से खुद उतर आये.
बहुलक्षीय व्यंग्य से गाभिन इस तरह की ब्लॉगिंग के अपने खतरे हैं जो उन खतरो की सूची में नहीं है जो अभिषेक ने गिनाई है क्योंकि जो गिनाया गया वो खतरा तो प्रत्याशित हो गया असल खतरा तो वहीं है जो प्रत्याशित नहीं है क्योंकि वो ही तो है जो सोचा नही गया।
विश्वयुद्ध हो या ९/११ या नागासाकी/हिरोशिमा... किसीने पहले नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है ! खतरे जब एक बार आ जाते हैं तब हम उनके बारे में सोचना चालु करते हैं. तब हम इस बात का ध्यान रखने लगते हैं कि कोई हवाई जहाज किसी बिल्डिंग में ना घुसे पर अब क्यों कोई जहाज बिल्डिंग में घुसने लगा... अब तो कुछ और होगा !कुछ भी... जो हम नहीं जानते ! अगर जान ही लेंगे तो फिर वो खतरा कहाँ रह पायेगा.
मतलब ये कि पूरे निन्यानवे प्रश्नों के उत्तर दो पर उनके नहीं जो पूछे गए हैं नए निन्यानवें सवाल खुद पूछो जैसे समीर उन सवालों के जबाब नहीं देते जो अमित पूछते हैं नए गढ़ते हैं जबकि बालक प्रशांत उन निन्यानवे सवालों के जबाव में जाया होते हैं जो समीर ने पूछे हैं-
७.टंकी पर चढ़े.
(बिलकुल जी, नहीं तो हिंदी ब्लौगर काहे का?)
८.लोग टंकी से उतारने आये.
(क्यों नहीं आयेंगे भला?)
९.टंकी से खुद उतर आये.
(उतरे तो खुद ही थे मगर अच्छे ब्लौगर का फर्ज निभाते हुए सारा श्रेय दूसरों को दे दिए.. :))
१०.खुद की आवाज में गाकर पॉडकास्ट किया.
११.किसी ने अगली बार से न गाने की सलाह दी.
(बाकायदा फोन करके कहा.. कमेन्ट में किसी ने नहीं कहा..)
तो कुल मिलाकर हमारी बात दर्ज करें कि आज का दिन अपने निन्यानवे गढ़ने कर दिन है.... उनके निन्यानवे से बढ़ने का दिन है। संख्या 1 से 99 ... हिन्दी ब्लागिंग की दशमलव प्रणाली का बस यही अंगी तत्व है शेष सब संचारी है। नमस्कार
आज बस ये चर्चा हुआ। निनानवे से शुरू, निनावनवे पर खत्म। बस यही है निनानवे का महात्म।
जवाब देंहटाएंरस बरसे....हो अंगिरस बरसे
जवाब देंहटाएंरस बरसे....बो ब्लागिंग रस बरसे
हो रस बरसे....बस बस रे:)
बिना ९९ के फेरे में पड़े ही ९९ के चक्कर वाली चर्चा कर गये भई..बहुत सही.
जवाब देंहटाएंयह निन्यानबे का चक्कर तो बड़ा खतरनाक है जी। पता नहीं क्या-क्या पूछ लेना चाहते हैं?
जवाब देंहटाएंहम ब्लॉगरों की तो इज्जत ही नहींच है। क्या पूरी कुण्डली खोलके रख देना अच्छा रहेगा?
कुछ तो रहम करॊ गुरूजी...। वैसे भी बड़ी गर्मी है।
99 के चक्कर में लोगों ने एक के साथ एक फ़्री वाली स्कीम के तहत देशी और विदेशी दोनों फ़ेरे लगा लिये।
जवाब देंहटाएं+ 1 (प्लस वन)
जवाब देंहटाएंकरके क्यों नहीं
निपटा दिया
या
पटा दिया नि।
इस ९९ के फ़ेर ने अच्छों को रास्ते लगा दिया है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
समीर जी की बात में दम है, हम इत्तेफ़ाक रखते हैं! :)
जवाब देंहटाएंवैसे आपसे मेरे ब्लॉग का लिंक काहे नहीं खुला यह बात ज़रा अचरज वाली है, बाकी सब से खुल रिया है! यदि पोस्ट का सीधे नहीं खुल रहा तो यह ब्लॉग का लिंक खोल के देखें।
इतनी छोटी सी चर्चा !...भाई, कोई नाराजगी हो गयी ?
जवाब देंहटाएंनिन्यानवे का फेर वाकई दिलचस्प है...जीतू जी के पुराने पोस्ट पढ़कर लगा उन जैसे ब्लोगर को खींचकर कम से कम हफ्ते में एक पोस्ट लिखवाने को जबरिया कहना चाहिए .....असल ब्लोगिग वही है....
जवाब देंहटाएंसब टंकी का जिक्र करते है .....टंकी की मरम्मत भी जरूरी है इसके लिए ब्लॉग जगत को कोई परमानेंट प्लंबर भी चाहिए जी ....यूँ लोग चढ़ जाते है .फिर बियर की बोतले इधर उधर फैली रहती है ...कोई शरीफ वेजिटेरियन आदमी ऊपर चढ़ जाए तो मुश्किल होगी ....
एक बात ओर ....उम्मीद करे की संगीतकार लोग बाकी दिनों भी इस चिटठा चर्चा में टिपिया दिया करे.......